एक गांव में एक आलसी आदमी रहता था वह इतना आलसी था कि वह अपना कोई भी कम समय पर नहीं करता था वह अक्सर सुबह देर तक बिस्तर में पड़ा रहता और फिर जब उठता तो कभी यहां बैठता कभी वहां बैठता अभी इसे बातें करता तो कभी उससे बातें करता कभी बच्चों के साथ खेलने लग जाता तो कभी सुबह-सुबह ही गैर जरूरी काम करने लग जाता था।
इस तरीके से वह अपना सुबह का समय व्यतीत कर देता और फिर जब दोपहर नजदीक आने लग जाती तो सोचता कि अब तो दोपहर होने वाली है इसीलिए स्नान करके पहले भोजन कर लेता हूं फिर काम करूंगा फिर जब वह भोजन कर लेता तो सोचता अभी थोड़ी देर आराम कर लेता हूं फिर काम में लग जाऊंगा जब वह आराम करने के लिए लेटता तो उसे नींद आ जाती और वह डेढ़ 2 घंटे की गहरी नींद में चला जाता।
जब वह नींद से जगत तब तक शाम का समय नजदीक आ जाता और वह सोचता अभी थोड़ी देर में काम शुरू करूंगा लेकिन आदत से लाचार वह फिर कोई गैर जरूरी काम पकड़ लेता या फिर किसी मित्र या पड़ोसी से गप्पे मारने लग जाता है या फिर कहीं आसपास घूमने निकल जाता इस तरीके से उसकी साम बीत जाती और रात आ जाती रात में भोजन के बाद जब वह सोने के लिए जाता तो वह आत्मग्लानि से भर जाता उसे यह सोचकर बड़ा दुख होता कि मेरा आज का दिन भी यूं ही बर्बाद हो गया।
वह रात को यह निश्चय करके सोता कि मैं कल सुबह जल्दी उठकर अपने काम पर लग जाऊंगा किसी प्रकार का टालमटोल नहीं करूंगा और ना ही अलस करूंगा लेकिन जब सुबह होती तो उसका आलस से फिर उसे घेर लेता उसका बिस्तर छोड़ने का मन नहीं करता वह देर से उठाता और आदतन वह सारे काम करता जो उसने पिछले दिन किए थे।
इस तरीके से वह अलस और टालमटोल के चक्र में फंस चुका था ऐसा नहीं था कि वह कुछ करना नहीं चाहता था या फिर अलस के अपने इस चक्र को तोड़ना नहीं चाहता था वह कई बार अलस के इस चक्र को तोड़कर अपने महत्वपूर्ण कामों को करने में जुट भी जाता था लेकिन वह अपनी इस नई आदत को लंबे समय तक कायम नहीं रख पाता था और फिर से अपनी वही पुरानी टाल मटोल की आदत में फंस जाता था।
उसके इस आलस से और काम को टालने की आदत से उसके साथ-साथ उसके घर वाले भी बहुत परेशान थे क्योंकि वह उन कामों को भी टालता रहता था जिससे उसका घर चलता था।
खेती उसकी आय का एकमात्र स्रोत था, लेकिन वह खेती के कामों में भी टालमटोल करता रहता था वह ना तो समय पर जुताई करता ना ही फसलों की सही से देखभाल करता और ना ही समय पर फसलों को पानी देता जिससे उसकी फसल औरों के मुकाबले कम होती थी और वह उससे उतनी आए नहीं कर पता था जिससे उसके घर का खर्च आसानी से चल सके।
घर में पैसों की कमी की वजह से अक्सर उसे पत्नी के गुस्से और तानों का सामना करना पड़ता था और कभी-कभी तो बात लड़ाई तक भी पहुंच जाती थी। जिससे अब वह बहुत परेशान रहने लगा था लेकिन वह चाह कर भी अपने इस मानसिक अलस के दुष्चक्र को तोड़ नहीं पा रहा था।
एक दिन ऐसे ही वह अपने घर के बाहर बैठकर अपने आलस से बाहर निकलने का तरीका सोच रहा था कि तभी अचानक उसकी नजर अपने घर से कुछ दूरी पर बने मंदिर में रहने वाले महात्मा जी पर पड़ी महात्मा जी को देखते ही उस आलसी व्यक्ति को महात्माजी के दिनचर्या की याद आ गई उसने सोचा यह महात्मा जी रोज सुबह 4:00 बजे से भी पहले उठकर गांव के बाहर के नदी से स्नान करके आ जाते हैं उसके बाद जब ज्यादातर गांव वासी सो रहे होते हैं तभी अपनी पूजा पाठ और ध्यान इत्यादि के काम में लगे होते हैं और जब तक गांव वालों की सुबह होती है और वह अपने दिनचर्या की शुरुआत करते हैं तब तक महात्मा जी अपने मंदिर परिसर के साफ सफाई करके अपने मुख्य दैनिक कार्यों को खत्म कर चुके होते हैं। उसके बाद यह भिक्षा के लिए गांव में जाते हैं और भिक्षा लाकर अपना भोजन भी स्वयं बनाते हैं भोजन करने के पश्चात यह पूरी दोपहर धर्म ग्रंथो का अध्ययन करते हैं और फिर शाम को मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के साथ प्रवचन और वार्तालाप भी करते हैं।
इसके पश्चात यह शाम की संध्या आरती करके अपना भोजन बनाते हैं और फिर रात में जल्द ही मंदिर के बाकी काम खत्म करके समय पर सो भी जाते हैं।
तो आखिर यह इतने अनुशासित कैसे रह पाते हैं और यह महात्मा जी तो इतनी व्यस्त दिनचर्या का पालन वर्षों से करते आ रहे हैं थोड़ी देर तक ऐसे ही प्रश्नों पर विचार करने के बाद वह आलसी व्यक्ति उन महात्मा जी के पास जाकर अपने अलस के कर्म का पता लगाने का निश्चय करता है।
वह तुरंत ही उसे मंदिर में पहुंच जाता है और उन महात्मा जी को प्रणाम करके उनसे विनती भरे स्वर में कहता है, मुनीबर मैं आपके पास अपनी एक बहुत बड़ी समस्या लेकर आया हूं। महात्मा जी ने कहा क्या समस्या है तुम्हारी जिसे तुम इतनी बड़ी समझ रहे हो?
उस आलसी व्यक्ति ने अपने अलस और टाल मटोल की पूरी कहानी महात्मा जी को सुना दी उसने कहा मुनिवर मैं बहुत आलसी हूं और काम को टलता रहता हूं मैं सुबह देर से सोकर उठता हूं और फिर अपना सुबह का समय गैर जरूरी कामों में बर्बाद कर देता हूं उसके बाद मैं सारा दिन अपने महत्वपूर्ण कामों को टलता रहता हूं और मेरा पूरा दिन बस यूंही बर्बाद हो जाता है और जब रात होती है तो मुझे खुद पर गलानी होती है और दुख भी होता है कि मैंने पूरा दिन बस यूं ही बर्बाद कर दिया लेकिन अगले दिन मैं फिर वही सारी गलतियां दोहराता हूं और समय को बर्बाद करता हूं मुनिवर मैं आलस और टाल मटोल के बुरे दुष्कर्म में फंस चुका हूं और इससे बाहर नहीं निकल पा रहा हूं।
कृपया मुझे अपने इस आलस से बाहर निकलने का कोई रास्ता दिखाएं मैं आपके पास बड़ी उम्मीद लेकर आया हूं।
उस आलसी व्यक्ति की बात पूरे ध्यान से सुनने के बाद महात्मा जी ने कहा आलस वह सुख है जो हमें दुखी ही दुख देता है कार्य परिश्रम करने की क्षमता होने के बावजूद उस कार्य को ना करना या उसे करने में टाल मटोल करना ही अलस करना कहलाता है और यह अलस व्यक्ति को कहीं का नहीं छोड़ता।
तुम्हारी आलस और टालमटोल का सबसे बड़ा कारण तुम्हारी सुबह की खराब दिनचर्या है क्योंकि तुम अपना सुबह का कीमती समय ही व्यर्थ के कार्यों और टालमटोल में बर्बाद कर देता हो जिससे तुम्हारे दिन की शुरुआत खराब होती है और फिर जैसे-जैसे दिन गुजरता है तुम्हें लगने लगता है कि तुम्हारा आज का समय भी बर्बाद हो गया फिर तुम्हारा मन और भी ज्यादा अलस और टालमटोल करने लगता है। जिससे तुम्हारा बाकी का समय भी यूं ही बर्बाद हो जाता है और तुम कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं कर पाते और इस आलस के चक्र में फंसकर रह जाते हो अगर तुम अपनी सुबह को जीतना सीख लो अगर तुम अपने सुबह के समय का सदुपयोग करना सीख लो तो तुम्हारा बाकी का दिन आसानी से सवंर जाएगा लेकिन सुबह को जीतना इतना आसान नहीं है।
इसके लिए तुम्हें कुछ महत्वपूर्ण आदतों को अपने सुबह के दिनचर्या में शामिल करना होगा और उनका दृढ़ता से पालन भी करना होगा।
तो आज मैं तुम्हें सुबह 7 बजे से पहले कि 7 आदतें बताऊंगा जिनको अगर तुमने अपने सुबह के दिनचर्या में शामिल कर लिया तो न केवल तुम अपने आलस और टाल मटोल से छुटकारा पा लोगे बल्कि एक अनुशासित और मजबूत व्यक्तित्व वाले इंसान भी बन जाओगे तो इन सातों आदतों के बारे में ध्यान से सुनना सुबह की पहली आदत जो तुम्हें अपनानी है वह है,
(1) ध्यान का अभ्यास
चित् को एकाग्र करके किसी एक वस्तु पर केंद्रित कर देना ध्यान कहलाता है ध्यान करने से आत्मिक तथा मानसिक शक्तियों का विकास होता है अगर तुम रोज सुबह बैठकर 10 से 15 मिनट सिर्फ अपनी सांसों पर ही ध्यान लगाओ आती जाती सांसों को देखो, देखो कि जब सांस तुम्हारे अंदर जाती है तो पेट कैसे फूलता है और जब वही सांस बाहर निकलती है तो पेट कैसे पिचकता है देखो की सांस पेट से चल रही है यह सीने से सांस दाईं नाक से ज्यादा चल रही है या बाई नाक से तुम जब अपनी सांसों के प्रति जागरूक हो जाओगे तो यही ध्यान प्रक्रिया बन जाएगी और इस आदत को अपना कर तुम्हारे अंदर जागरूकता और एकाग्रता बढ़ेगी और तुम देखोगी कि तुम पूरे दिन शांत प्रसन्न और जागरूक रहोगे तुम जो भी काम करोगे उसे पूरी एकाग्रता के साथ करोगे और तुम्हारे लिए वर्तमान में रहना बहुत आसान हो जाएगा तो यह बहुत ही आसान लेकिन बहुत ही ज्यादा प्रभावशाली आदत है इसीलिए इसे जरूर अपनी सुबह की दिनचर्या में शामिल करो।
(2) सुबह की दूसरी आदत है धन्यवाद प्रकट करना
सुबह का माहौल शांत और खुशनुमा होता है इस समय प्रकृति में एक अलग ही पवित्रता और ऊर्जा फैली रहती है तो यह बिल्कुल सही समय है आभार प्रकट करने का तुम्हारे जीवन में जो भी अच्छी चीज अच्छे लोग या अच्छी परिस्थितियों हैं जिससे तुम्हें खुशी मिलती है उन सबके लिए इस ब्रह्मांड को या उस ईश्वर को जिसे तुम मानते हो धन्यवाद कहो यह सब तुम्हें देने के लिए उसका आभार प्रकट करो जब हम अपना दिन धन्यवाद के भाव से शुरू करते हैं तो सारी बाधायें अपने आप हटने लग जाती हैं और नए अवसरों के द्वार खुलने लग जाते हैं। फिर हम शिकायत के प्रति नहीं बल्कि कुछ बनने और कुछ करने के प्रति आकर्षित होते हैं। धन्यवाद के भाव से व्यक्ति के अंदर के नकारात्मक विचार और दुख खत्म होने लगते हैं और वह अपनी सफलता के लिए नए रास्ते खोजने लगता है। आभार प्रकट करने से मन में सकारात्मक और खुशी का स्तर बढ़ता है जिससे मानसिक रोग और मानसिक विकार दूर होने लगते हैं जीवन से असंतोष और कमी की जो भावना होती है वह सारी खत्म हो जाती है ब्रह्मांड से जितनी भी चीज मिली हैं उसके प्रति हमारे मन में धन्यवाद का भाव होने से हमें खुशी मिलती है।
उसके बाद खुशी की यह तरंगे हमसे निकल कर पूरे ब्रह्मांड में फैलने लगती हैं खुशी की यह तरंगे हमसे मिलकर आसपास के वातावरण में भी फैलने लगती हैं जिससे हमारे साथ-साथ पूर्व ब्रह्मांड खुश हो जाता है साथ ही आभार प्रकट करने से हम अपने आसपास के लोगों के प्रति हमेशा धन्यवाद से भरे रहते हैं जिसकी वजह से लोगों की नजर में हमारी जो छवि होती है वह अच्छी हो जाती है। लोग हमको एक अच्छे और भले इंसान के रूप में देखने लगते हैं इससे यह होता है कि जो भी हमसे मिलता है वह हमारा दोस्त बन जाता है और हमको पसंद करने लगता है संक्षिप्त में कहें तो रोज धन्यवाद प्रकट करना जीवन में सुख शांति और समृद्धि के द्वार खोल देता है।
(3) इसी तरह तीसरी आदत है व्यायाम
व्यायाम यानी कसरत करना बहुत ही जरूरी है अपनी सुबह के दिनचर्या में व्यायाम य योगासनों को शामिल करना व्यक्ति को चमत्कारिक रूप से बदल कर रख देता है नियमित रूप से व्यायाम करने से व्यक्ति का मन बहुत ही प्रसन्न और उत्साहित रहता है दिनभर शरीर में ऊर्जा बनी रहती है शरीर मजबूत और आकर्षक बनता है खाया पिया शरीर पर लगता है एक नियमित रूप से व्यायाम करने वाला व्यक्ति लोगों के भीड़ में भी सबसे अलग नजर आता है व्यायाम शरीर की कमजोरी जकड़न और थकान को दूर करके व्यक्ति के अलस को खत्म करता है साथ ही यह व्यक्ति को अनुशाषित बनाता है।
व्यायाम करने से मानसिक तनाव और चिंता में कमी होती है, क्योंकि ज्यादा तर व्यक्तियों को अधिकतर चिंता तो अपने शरीर और स्वास्थ्य को लेकर बनी रहती है लेकिन व्यायाम करने से व्यक्ति का शरीर स्वस्थ बना रहता है इसीलिए उसकी चिंताएं और परेशानियां भी काम हो जाती हैं तो तुम्हें अपनी दिनचर्या में व्यायाम को जरूर शामिल करना चाहिए और वह भी कम से कम 30 मिनट रोज।
(4) सुबह की चौथी महत्वपूर्ण आदत है अच्छी किताबें पढ़ना
दुनिया में जितने भी महान और सफल लोग हुए हैं उन सब में एक आदत होती है कि वह सभी अच्छी किताबें पढ़ने के शौकीन होते हैं वह अपने काम य शौक से जुड़ी किताबें पढ़कर लगातार कुछ नया सीखते रहते हैं जिससे वह दूसरे लोगों की तुलना में बहुत आगे निकल जाते हैं किताबों को पढ़ना भी एक ध्यान है जब हम अपनी मनपसंद किताबों को पढ़ने में इतना खो जाते हैं कि हमारा अपने आसपास की घटनाओं पर ध्यान ही नहीं रहता तो यह भी एक ध्यान प्रक्रिया बन जाती है इसीलिए जिन लोगों को ध्यान करने में समस्या होती है उन्हें अपनी मनपसंद किताबें पढ़नी शुरू कर देनी चाहिए किताबें पढ़ने के बहुत से फायदे हैं जैसे इससे एकाग्रता बढ़ती है, दिमाग तेज होता है, तनाव कम होता, है जानकारी बढ़ती है, बात करने बोलने और लिखने की कला विकसित होती है, कल्पनाशीलता वृद्धि होती है, याददाश्त बढ़ती है, अच्छी नींद आती है, अकेलापन दूर होता है, और यह हमें एक बेहतर इंसान बनाती हैं, इसीलिए तुम्हें हर दिन सुबह या रात में सोने से पहले किताबें जरूर पढ़नी चाहिए।
(5) सुबह की पांचवी आदत है लक्ष्य निर्धारित करना
सुबह-सुबह हमारा मन ज्यादा शांत और स्पष्ट होता है हम ज्यादा अशपष्टता के साथ सोच सकते हैं इसीलिए दिन भर में क्या-क्या काम करना है कौन सा काम करना है य किसी नए काम की शुरुआत करनी है इन सब चीजों की योजना सुबह-सुबह ही बना लेनी चाहिए लक्ष्य निर्धारित करना इतना जरूरी क्यों है ? क्योंकि हमारा मन इतना चंचल होता है कि वह एक दिशा में आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं होता बल्कि जो मन को अच्छा लगता है उस दिशा में कार्य करने के लिए हमें मजबूर करता रहता है मन की इच्छाएं मौसम की तरह होती हैं जो हर कुछ समय अंतराल के बाद बदलती रहती हैं इसीलिए मन की इन इच्छाओं को नियंत्रित करने के लिए लक्ष्य को निर्धारित करना बहुत आवश्यक होता है।
जब हम लिखित रूप में अपना लक्ष्य निर्धारित कर लेते हैं तो हमारा लक्ष्य हमें एकदम साफ-साफ दिखाई देने लगता है और लक्ष्य निर्धारण के द्वारा हम अपने मन पर काफी हद तक काबू भी पा लेते हैं लक्ष्य निर्धारण के द्वारा हमें अपने मन को एक कार्य में केंद्रित और एकाग्रित करने में मदद मिलती है।
(6) सुबह की छठी आदत है पानी पीना
सुबह उठते ही दो-तीन गिलास पानी पीना शरीर के लिए अमृत का कार्य करता है सुबह-सुबह पानी पीने से पेट अच्छे से साफ होता है शरीर में रात भर में जो भी पानी की कमी हुई है उसकी पूर्ति हो जाती है सुबह अच्छे से पानी पी लेने से शरीर में दिनभर ऊर्जा और ताजगी बनी रहती है सुबह ज्यादा पानी पीने का एक फायदा यह भी होता है कि फिर हमें दिनभर बार-बार प्यास नहीं लगती अगर शरीर में पर्याप्त पानी की मात्रा बनी रहती है तो इसके बहुत सारे फायदे भी होते हैं जैसे इससे शरीर की अच्छे से सफाई हो जाती है त्वचा चमकदार और सुंदर दिखती है दिमाग तेजी से कार्य करता है पाचन में सुधार होता है और शरीर का वजन नियंत्रित रहता है जिससे शरीर को अलस और थकान कम होता है इसीलिए सुबह उठकर गुनगुना पानी पीना बहुत ही अच्छी आदत है।
(7) सुबह की सातवीं अच्छी आदत है सुबह का नाश्ता अच्छा और पौष्टिक हो
नाश्ता हमारे दिन का पहला भोजन होता है इसीलिए इसका पौष्टिक और अच्छा होना बेहद जरूरी है अगर हम सुबह-सुबह ही ज्यादा भारी तेल युक्त या कोई ऐसा नाश्ता कर लेते हैं जो हमारे शरीर के लिए अच्छा नहीं है तो हमें सुबह-सुबह ही भारीपन और अलस महसूस होनेलगता है जिससे हम अपने कामों पर सही से ध्यान नहीं दे पातें और अगर हम भूख होने के बाद भी सुबह नाश्ता नहीं करते तो फिर हमें कमजोरी भूख और थकान सताने लगती है जिसकी वजह से भी हमारा काम पर मन नहीं लगता इसीलिए अगर हमें सुबह भूख महसूस होती है तो अच्छा और पौष्टिक नाश्ता जरूर कर लेना चाहिए लेकिन यह जरूरी है कि भूख लगे नाश्ता जबरदस्ती या फिर सिर्फ नियम पूरा करने के लिए नहीं करना है।
इतना कहने के बाद महात्मा जी ने अपनी बात समाप्त कर दी और उस आलसी व्यक्ति ने भी महात्मा जी की बातों को ध्यान से सुनने के बाद उन सातों आदतों को अपने सुबह के दिनचर्या में शामिल करने का निश्चय कर वहां से चला गया। दोस्तों आज के समय में एक और बुरी आदत है जिसकी वजह से लोगों के सुबह के दिनचर्या खराब हो जाती है और वह आदत है उठते ही मोबाइल फोन पर लग जाना आजकल तो लोगों के सुबह की शुरुआती मोबाइल के साथ होती है। उठते ही सोशल मीडिया पर लग जाते हैं जैसे लगता है सुबह के लिए इससे बड़ा काम और कुछ हो ही नहीं सकता आपको सुबह उठने के बाद डेढ से 2 घंटे तक स्क्रीन को नहीं देखना होता है इससे दूर रहना होता है देखिए मोबाइल हमारी सुविधा के लिए बनाया गया है और यह बहुत अच्छा है लेकिन अगर यही मोबाइल हमें बीमार और कमजोरी बना रहा है तो यह बहुत बुरा है और यह हमारी कमजोरी है क्योंकि मोबाइल खुद से उछलकर हमारे हाथों में नहीं आता वह हम ही हैं वह हमारी ही कमजोरी है जो इससे चिपके रहते हैं और फिर बोलते हैं कि मोबाइल का एडिक्शन छूट नहीं रहा ऐसे दोस देने से कुछ नहीं होगा हमें खुद को संभालना और सुधारना होगा खुद पर नियंत्रण लाना होगा और सुबह के स्क्रीन टाइम को बिल्कुल खत्म करना होगा।
ना लैपटॉप ना टीवी और ना ही मोबाइल सुबह अलार्म के लिए भी मोबाइल का उपयोग नहीं करना अलार्म के लिए एक छोटी सी अलार्म घड़ी खरीद लो क्योंकि किसी भी बहाने से सुबह हाथों पर मोबाइल नहीं आना चाहिए।
तो यह थी वह आदतें जिन्हें अगर आप अपनी सुबह की दिनचर्या में शामिल कर लेते हैं तो आप की सुबह तो शानदार बनेगी ही साथ ही आप अपनी जिंदगी में बहुत ही सफल और खुशहाल भी रहेंगे तो दोस्तों मुझे उम्मीद है की आपको यह कहानी बहुत पसंद आई होगी अगर पसंद आई तो प्लीज अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करे।