गांव में रहने वाला एक नौजवान लड़का अपने मानसिक डर से बहुत परेशान था।
उसे हमेशा किसी न किसी बात का डर लग ही रहता था कभी वह यह सोचकर डरता की पता नहीं उसका भविष्य कैसा होगा वह खुद के और अपने मां-बाप के सपने पूरे कर भी पाएगा या नहीं।
उसे हमेशा यही लगता था कि उसके अंदर बहुत सारी कमियां है और इसी सोच की वजह से वह खुद को दूसरों की तुलना में छोटा और कमतर समझता था। यहां तक कि उसे लोगों से खुलकर बात करने में भी डर लगता था जब वह लोगों के साथ उठता बैठता य बातें करता तो उसे लगता कि लोगों का ध्यान सिर्फ उसकी कमियों की तरफ ही है।
इसीलिए वह लोगों के सामने घबराहट महसूस करता था।
उसे इस बात से भी जलन होती थी कि उसके आसपास के लोग उससे आगे कैसे निकल रहे हैं और साथ ही उसे इस बात का डर भी लगा रहता की कहीं उसके मित्र या आसपास के लोग उससे आगे ना निकल जाए और अगर ऐसा हुआ तो वह उनके सामने छोटा और कमजोर साबित हो जाएगा और इसी बिछड़ने व कमजोर साबित होने के डर से वह पता होने के बाद भी अपने मित्रों और साथियों के साथ ऐसे किसी भी जानकारी या अवसर को साँझा नहीं करता था जिसमें उसे लगता था कि सामने वाला उसे जानकारियां अवसर का फायदा उठाकर उसे आगे निकल जाएगा वह मानसिक रूप से इतना भयभीत और कमजोर हो चुका था कि उसे दूसरे लोगों को असफल होता हुआ देखकर खुशी मिलती थी।
वह अक्सर खुद के काम और तरक्की की तुलना अपने आसपास के दूसरे लोगों से करता और जो व्यक्ति उससे अधिक सफल होता उस व्यक्ति के प्रति उसके मन में जलन और ईर्ष्या के भाव पैदा होने लगता और जो व्यक्ति असफल होता उस व्यक्ति को देखकर उसे खुशी मिलती अपने इस तुलनात्मक और नकारात्मक सोच व डर की वजह से वह नौजवान अक्सर अशांत रहता था और उसे पता भी था कि यह डर और तुलनात्मक सोच उसके लिए ठीक नहीं है यह उसे पीछे की ओर खींच रही है लेकिन फिर भी बहुत कोशिश करने के बाद भी वह अपने इस मानसिक डर और नकारात्मक सोच की आदत को छोड़ नहीं पा रहा था और समय के साथ उसका यह डर और भी अधिक बढ़ता जा रहा था जिससे वह और भी अधिक चिंता और तनाव में घिरता जा रहा था लेकिन कुछ भी कर नहीं पा रहा था।
तभी अचानक उसे एक दिन एक बौद्ध भिक्षु के बारे में पता चला जो कि उसके पड़ोस के गांव में बने बौद्ध मठ में ही रहा करते थे वह बौद्ध भिक्षु एक ध्यानी व्यक्ति थे। अपनी बुद्धि और ज्ञान के बल पर लोगों की बड़ी-बड़ी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए उस पूरे क्षेत्र में प्रसिद्ध थे बौद्ध भिक्षु के बारे में जानकारी मिलते ही वह नौजवान लड़का अगले दिन बौद्ध भिक्षु के पास पहुंच जाता है और उनको प्रणाम कर उनके समक्ष एक उदास चेहरे के साथ बैठ जाता है पहले तो बौद्ध भिक्षु ने उसके चेहरे की तरफ बड़े ध्यान से देखा और फिर एक बड़ी ही शांत और मधुर आवाज में उसके आने का कारण पूछा उस लड़के ने बड़े ही उदास और दुखी मन के साथ अपनी कहानी सुनानी शुरू की उसने कहा मुनीवर में अक्सर डरा हुआ और असंत रहता हूं मैं अक्सर अपने भविष्य और काम को लेकर चिंतित और भयभीत रहता हूं मुझे हमेशा दूसरों से बिछड़ने और कमजोर साबित होने का डर सताता रहता है मुझे दूसरों की सफलता देखकर जलन और ईर्ष्या होती है और उनकी असफलता में खुशी मिलती है।
मैं हर पल खुद पर संदेह करता रहता हूं और दूसरों से खुद की तुलना करता रहता हूं जिसकी वजह से मैं अंदर से बहुत ही अशांत और परेशान हो चुका हूं और इस अशांति व डर की वजह से मैं अपने जीवन में कुछ बड़ा नहीं कर पा रहा हूं मुनिवर मैं आपके पास बड़ी उम्मीद लेकर आया हूं कृपया मुझे कोई सही रास्ता दिखाएं।
बौद्ध भिक्षु ने उस नौजवान लड़के की बात पूरे ध्यान से सुनी और फिर एक शांत व गंभीर आवाज में कहना शुरू किया यह सभी डर और लक्षण केवल उसे व्यक्ति में पाए जाते हैं जिसमें आत्मविश्वास की कमी है जिसे खुद पर भरोसा नहीं है और जो खुद के साथ सहज नहीं है क्योंकि जिस व्यक्ति को खुद पर भरोसा है और जो खुद से जुड़ा हुआ है वह कभी भी किसी और की सफलता पर दुखी नहीं होगा और ना ही किसी के असफल होने पर उसे खुशी होगी एक आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति इस डर में नहीं जीता की वह लोगों से बिछड़ जाएगा या फिर उनकी नजरों में कमजोर साबित हो जाएगा क्योंकि उसे अपनी काबिलियत और मेहनत पर भरोसा होता है इसीलिए वह हर परिस्थिति में अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करता है। बिना परिणाम के ज्यादा चिंता किये।
तो आज मैं तुम्हें 9 ऐसी आदतों के बारे में बताऊंगा जो उन लोगों के अंदर पाई जाती हैं जो आत्मविश्वास से भरे होते हैं जिन्हें खुद पर भरोसा होता है जो खुद के साथ सहज होते हैं और खुद से जुड़े होते हैं और इन आदतों को अपनाकर तुम भी खुद को आत्मविश्वास से भर सकते हो खुद के साथ तालमेल बैठाना सीख सकते हो और खुद को डर जलन ईर्ष्या और तुलना जैसे नकारात्मक विचारों से दूर रखकर अपने काम पर ध्यान दे सकते हो तो मेरी इन बातों को ध्यान से सुनना और यह समझने का प्रयास करना कि तुम कहां पर खड़े हो यानी इनमें से कौन सी आदतें तुम्हारे अंदर हैं और अभी ऐसी और कौन सी आदतें हैं जो तुम्हें अपने अंदर विकसित करनी है एक शांत खुशहाल और सफल जीवन जीने के लिए। तो चलो शुरू करते हैं पहली आदत से,
1. चीजों और बातों को व्यक्तिगत रूप से लेना बंद करो
हर चीज को व्यक्तिगत यानी अपने ऊपर लेने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि कोई भी इंसान अगर चीजों को व्यक्तिगत तौर पर लेता है कोई भी बात अगर किसी समूह के लिए बोली जा रही है या आमतौर पर सबके लिए बोली जा रही है और वह व्यक्ति उस बात को अपने ऊपर ले लेता है तो फिर वह वहां पर बहुत ज्यादा अपमानित महसूस करता है और अपने आत्मविश्वास को बहुत गहरी चोट पहुंचा लेता है।
हमें चीजों को व्यक्तिगत रूप से लेने के बजाय उसे व्यक्तिगत अर्थ देने के बजाय उसका सामूहिक और पारिस्थितिक अर्थ निकालना सीखना चाहिए यानी कि वह बात कितनों के लिए किस मकसद से और किस परिस्थिति में बोली गई है। इस बात को ध्यान में रखते हुए इसका मतलब निकालना चाहिए और जो भी व्यक्ति अपने साथ सहज होता है उसे खुद पर भरोसा होता है वह खुद को जानता है कि वह कौन है इसीलिए वह कभी भी चीजों को व्यक्तिगत रूप से नहीं लेता इसकी बजाय वह मौजूदा स्थिति के अनुसार उस बात का मतलब निकलता है।
जब हम स्थिति और मौके के अनुसार चीजों या कहीं गई बातों का मतलब निकालना सीख जाते हैं तो फिर हम खुद को बेवजह का दोस् देने और खुद पर बेमतलब का दबाव बनाकर परेशान होने से बच जाते हैं।
2. अपने आप पर अपनी काबिलियत पर भरोसा रखना
अपने आप पर भरोसा करना यह सबसे खूबसूरत एहसास है दूसरे हम पर भरोसा करें यह हमारे लिए बहुत अच्छी बहुत खास बात तो है ही लेकिन जब हम खुद पर भरोसा करना सीख जाते हैं तो जिंदगी बहुत ही आसान और खूबसूरत बन जाती है क्योंकि जब हमारा खुद पर विश्वास पक्का हो जाता है तो फिर कोई हमारा साथ दे या ना दे हम जिंदगी में आगे बढ़ते जाते हैं और कितनी भी बड़ी से बड़ी मुसीबत हमारे सामने आए वह घुटने टेक कर चली ही जाती है और हम हंसते मुस्कुराते हुए आगे बढ़ते जाते हैं।
3. आत्मविश्वास से भरे लोगों की तीसरी आदत है कि उनकी जिंदगी में एक ठहराव होता है
वह बिना किसी घबराहट के अपना पर्याप्त समय लेते हैं जिंदगी में सब कुछ तुरंत नहीं मिलता और ना ही हर समय परिस्थितियों हमारे अनुकूल होती हैं ऐसा नहीं होता कि सब कुछ एकदम से और तुरंत हो जाएगा कई बार ऐसा होता है कि हमें रुकने की जरूरत पड़ती है चीजों को अच्छे से समझने और करने के लिए थोड़ा ठहराव की जरूरत पड़ती है और इस बीच यह जो समय लगता है इसमें ज्यादातर लोग अपना धैर्य खो देते हैं लेकिन जो मजबूत इंसान होगा जो अपने साथ सहज होगा उसमें यह खासियत होगी कि वह थोड़ा सा समय लेगा लेकिन उसे भरोसा होगा कि जो समय वह ले रहा है य जो समय उसे काम में लग रहा है वह वास्तव में उसे और उसकी जिंदगी को बेहतर बना रहा है तो वह इंसान खुशी-खुशी अपना समय लेगा इंतजार करेगा और विचलित और परेशान होने की बजाय उसके अंदर बहुत सारा धैर्य और आभार होगा कि चलो चीजें कम से कम बेहतर तो हो रही है। तो वह समय की कद्र करेगा अपने अंदर शांति बनाए रखेगा और समय बहुत ही अच्छे से और शांति से बीत जाएगा।
4. आत्मविश्वास से भरे और मानसिक रूप से मजबूत लोगों की चौथी आदत है कि वह दूसरों को भी आगे बढ़ाने में विश्वास करते हैं
एक मजबूत इंसान ही दूसरे को भी आगे बढ़ा सकता है उसे ऊंचा उठा सकता है उसे कुछ सीखा सकता है जो इंसान खुद में मजबूत होता है खुद को पसंद करता है खुद के साथ सहज होता है संतुष्ट होता है वही इंसान दूसरों की मदद कर सकता है लेकिन जो खुद ही बेचारा है खुद ही कमजोर है स्वयं से संतुष्ट नहीं है वह क्या दूसरों की मदद करेगा उसे तो खुद दूसरे लोगों से मदद की जरूरत है लेकिन जो इंसान खुद पर भरोसा करता है वह खुद के साथ सहज और संतुष्ट होता है इसीलिए वह किसी भी प्रकार की जलन ईर्ष्या य तुलना के चक्कर में नहीं पड़ता उसे दूसरे लोगों की मदद करने में भी खुशी मिलती है क्योंकि वह जानता है कि जितना मैं मजबूत हूं उतना ही अगर कोई और मजबूत बनता है तो मजबूत लोगों का एक समूह बनेगा और सब मिलकर मजबूती से आगे बढ़ेंगे।
खुद पर भरोसा करने वाले और मानसिक रूप से मजबूत लोगों की पांचवी आदत है कि वह
5. बिना ज्यादा क्रोधित हुए बिना अपना आपा खोए बिना किसी को नुकसान पहुंचा और बिना डरे अपनी बात को अच्छी तरीके से रखना जानते हैं
ऐसा इंसान अपने साथ सहज और इमानदार होता है इसीलिए उसे अपनी गलतियों के बारे में भी पता होता है और यह भी पता होता है कि कहाँ पर वह निर्दोष है इसीलिए वह अपनी गलतियों को पूरी विनम्रता से स्वीकार कर लेता है और जब वह सही होता है तो बिना डरे अपना पक्ष लेता है और अपनी बात पूरी मजबूती से रखता है लेकिन अपनी शालीनता के दायरे में रहते हुए, बिना अपनी मर्यादा खोये वह इंसान बहुत अच्छी तरीके से अपनी बात को 100 लोगों के सामने रखता है। हजार लोगों के सामने या फिर पूरी दुनिया के सामने वह अच्छी तरीके से जानता है कि उसे कब क्या कदम उठाना है इसी प्रकार से इन लोगों की छठी विशेषता है कि
6. यह लोग मानसिक और भावनात्मक रूप से मजबूत और शक्तिशाली होते हैं
सही मायने में मजबूत यानी अंदर से शक्तिशाली कौन होता है जिसे ज्ञान होता है लेकिन उसे ज्ञान का कोई घमंड नहीं होता जिसे सही समय पर सही काम करना आता है जिसे विनम्र रहना आता है जिसे दूसरों की मदद करना आता है वही इंसान वास्तव में शक्तिशाली होता है स्वतंत्र होता है आत्मविश्वासी होता है सफल होता है संतुष्ट होता है तो सही मायनों में एक मजबूत इंसान की पहचान ऐसी होती है कि वह अपने जीवन के सभी आयामों को मजबूत रखना है और खुद की ही तरह दूसरों को भी शक्तिशाली बनाने में विश्वास रखता है क्योंकि वह जानता है कि सकारात्मक शक्ति को जितना फैलाया जाएगा वह उतनी ही गुना बढ़कर उसके पास वापस आएगी और वह और भी शक्तिशाली होता चला जाएगा तुम खुद सोचो कि अगर तुम किसी कमजोर लोगों के समूह में रहोगे तो क्या होगा धीरे-धीरे तुम भी कमजोरी बन जाओगे लेकिन अगर तुम शक्तिशाली लोगों का समूह बनाओगे उनकी शक्ति बाढाओगे तो क्या होगा धीरे-धीरे तुम्हारी भी शक्ति बढ़ती चली जाएगी तो ऐसे लोग सही मायने में शक्तिशाली होते हैं आत्मविश्वास से भरे और खुद से जुड़े लोगों की सांतवी विशेषता है कि
7. यह लोग अपनी जिंदगी से संतुष्ट होते हैं
इसका मतलब यह नहीं की आगे कुछ करने का जोश नहीं होता आगे तो बहुत कुछ करना होता है लेकिन अभी जो है उसके लिए धन्यवाद से भरे हुए होते हैं संतुष्ट होते हैं खुश होते हैं दिल में सुकून प्यार और एक सकारात्मक जज्बा होता है क्योंकि संतुष्टि और धन्यवाद के भाव से ही आगे चलकर सफलता हमारे पास आती है सौभाग्य हमारे पास आता है लेकिन अगर हम असंतुष्ट हैं तो हम खुद से नाखुश रहेंगे कमियाँ निकालेंगे चिड़चिड़ा करेंगे जिससे यह ब्रह्मांड यह शक्ति यह प्रकृति भी कहेगी कि हर समय रोता ही रहता है कमियां ही निकलता रहता है छोड़ो इसे और जो मेरे खुशनुमा बच्चे हैं उनकी तरफ ध्यान देता हूं।
ऐसा होता है ना कई बार की जो बच्चा हर समय रोता रहता है चिड़चिड़ाता रहता है शिकायत करता रहता है तो कई बार उसके मां-बाप भी उसे उसी हालत में छोड़ देते हैं की रहने दो इसे अपने आप ही थोड़ी देर में चुप हो जाएगा लेकिन जो बच्चा प्यारा सा खुशनुमा सा और शांत होता है उसकी तरफ लोगों का प्यार और बढ़ता है उसे और खुशियां मिलती हैं तो कहने का अर्थ है कि जो लोग संतुष्ट होते हैं वह अपने साथ सहज और खुश रह पाते हैं और उनका अपने पर भरोसा बढ़ता चला जाता है इसी तरह से इन लोगों की आठवीं आदत होती है कि
8. यह लोग संतुलन में भरोसा रखते हैं
जीवन को अच्छी तरीके से जीने के लिए इसका संतुलित होना बेहद आवश्यक है तो ऐसे मजबूत लोग जो अपने साथ सहज होते हैं वह जीवन के संतुलित होने पर विश्वास रखते हैं हमारे जीवन के बहुत सारे पहलू हैं जैसे शारीरिक स्वास्थ्य मानसिक स्वास्थ्य घरेलू संबंध सामाजिक संबंध भविष्य के सपनें मौज मस्ती सफलता इत्यादि और अगर हम इन सभी चीजों को उचित समय देते हैं तो हमारे जीवन में एक संतुलन होगा हम संतुष्ट रहेंगे खुश रहेंगे बीमार होने से बचे रहेंगे लेकिन अगर हम जीवन के किसी एक क्षेत्र में बहुत ज्यादा ध्यान देते हैं उसमें बहुत अच्छा कर रहे हैं लेकिन बाकी दूसरे क्षेत्र में बिल्कुल पिछड़े हुए हैं तो क्या होगा हमारे जीवन में कभी भी वह संतुष्टि वह खुशी वह आत्मविश्वास आ ही नहीं पाएगा हम ज्यादातर समय परेशान ही रहेंगे इसीलिए तुम्हारे जीवन के जो भी कमजोर क्षेत्र हैं उनकी ओर भी ध्यान दो और एक योजना बनाओ कैसे उन्हें बेहतर किया जा सकता है जिससे जीवन में एक संतुलन स्थापित कर सकूं। नौवीं और आखिरी आदत है कि
9. यह लोग खुले विचारों वाले होते हैं
जो भी इंसान खुले दिमाग का होगा वह नए विचारों का स्वागत करेगा दूसरों की राय का भी सम्मान करेगा लेकिन जो व्यक्ति खुले विचारों वाला नहीं होगा बस मैं ही सही हूं, इस अकड़ में दबा जाएगा वो अकड़ करके अपना काम बिगाड़ देगा दिमाग और दिल का खुला होना बेहद जरूरी है मैं जैसा हूं वह हूं लेकिन अगर दूसरा मुझसे अलग है तो इसका मतलब यह थोड़े ना कि वह गलत है अगर मुझे कोई विशेष चीज पसंद नहीं है कोई पहनावा पसंद नहीं है कोई काम करने का तरीका पसंद नहीं है तो इसका मतलब यह थोड़े ना कि सामने वाले का तरीका गलत ही होगा तो विचारों का खुला होना बेहद आवश्यक है नई चीजों को सीखना चाहे वह कोई काम हो संस्कृति हो विचार हो कला हो उसका स्वागत करना उनकी अच्छाई की तारीफ करना बदलाव को स्वीकार करना यही सब चीज होती हैं जो खुले विचारों वाले इंसान की पहचान होती हैं लेकिन अगर हम रूढ़िवादी और छोटी सोच में फंस जाते हैं अंधविश्वास में फंस जाते हैं अपनी सोच को बदलने के लिए तैयार नहीं होते अपना नजरिया नहीं बदलते तो फिर क्या होता है हम मानसिक रूप से सड़ने लगते हैं लेकिन जब हम खुलते हैं नई चीजों का स्वागत करते हैं तो हम मुस्कुराते हैं हम पहले से बेहतर बनते हैं हमारा दिमाग ज्यादा विकसित होता है और हम नई-नई चीज सीख कर आगे बढ़ते रहते हैं जिससे हमारे जीवन में और खुशियां आती हैं।
इतना कहने के बाद बौद्ध भिक्षु थोड़ी देर के लिए रुके और फिर एक हल्की मुस्कान ली और फिर कहा तो अब तक तुम्हें समझ तो आ ही गया होगा और यह भी अनुमान लगा लिया होगा कि तुम अभी कहां पर खड़े हो और तुम्हें अपने अंदर क्या-क्या बदलाव लाना है बौद्ध भिक्षु के मुंह से यह बात सुनकर उस जवान लड़के ने हाँ में अपना सर हिलाया और इस अमूल्य जानकारी के लिए बौद्ध भिक्षु का धन्यवाद कर वहां से चला गया।
दोस्तों मुझे उम्मीद है कि आपको यह कहानी बहुत पसंद आई होगी अगर पसंद आई तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करिए।